Monday, December 12, 2011
Wednesday, November 30, 2011
पहली बाइक यात्रा भाग 2 - नदी के किनारे पिकनिक और सुल्ताना डाकू का किला
सिद्धबली मंदिर के दर्शन के बाद हमने अपने पिकनिक के लिए कोई जगह तलाशनी शुरू की! कोटद्वार में सड़क के साथ नदी चलती है! और कहीं भी सड़क से निचे उतर के आप नदी किनारे पिकनिक कर सकते हैं. हमारा भी ऐसा ही प्लान था! मगर गाडी पार्क करने के लिए उपयुक्त स्थान धुन्ड़ना जरुरी था, जो हमें शीघ्र ही मिल गया! और हम गाड़ी पार्क करके सड़क से निचे उतरकर नदी की और चल दिए!
इसी पुल के नीचे हमें पिकनिक के लिए बढ़िया जगह भी मिल गयी! हम नदी के किनारे पहुचे ही थे की हमें हाथी की पोटी दिखाई दी! यहाँ हाथी कभी कभी दिख जाते हैं, पर ज्यादा नहीं!
पेट पूजा के बाद नदी के ही पानी से हाथ धोकर, कुच्छ आस पास के फोटो लिए और कुछ बड़े पत्थरो पर चढ़ने की कौशिश की! अच्छा खासा समय बिता चुके थे हम, कोई ढाई या तीन ही बजे होंगे! सोचा वापस चला जाये! सो निकल पड़े वापस नजीबाबाद की ओर! वापसी में मैं सोच रहा था की कभी बाइक से कोटद्वार से आगे जाऊंगा!
आपको बता दू की कोटद्वार से आगे पौड़ी होते हुए यह रास्ता श्री नगर से मिलता है जो की चार धाम यात्रा की शुरुआत है! सो आप चार धाम यात्रा के लिए कोटद्वार होते हुए भी जा सकते हैं! जब हरिद्वार रूट पे कावड़ियों का आना जाना रहता है तब लोग अक्सर यह रूट पकड़ते हैं!
कोटद्वार से नजीबाबाद आते आते हमारा प्लान सुल्ताना डाकू का किला देखने का बन चूका था सो गाड़ी उसी तरफ ले ली!
यह किला मैं पहले भी एक बार कई साल पहले देख चूका था! इस शहर के आस पास काफी मशहूर है यह किला सुल्ताना डाकू की वजह से! मैंने अपने बचपन में सुल्ताना डाकू की काफी कहानिया सुनी थी! सुल्ताना एक बहादुर डाकू था जिसे पकड़ना उस समय नामुमकिन था! उस समय की पुलिस ने उसे पकड़ने की लगातार कौशिशे की थी! मैं इस किले को दोबारा देखना चाहता था! काफी कम लोग जानते हैं इस किले के बारे में! हलाकि सुल्ताना डाकू का अपना एक इतिहास है, यहाँ तक की एक फिल्म भी बनी है सुल्ताना डाकू पे, जिसमें सुल्ताना डाकू का किरदार दारा सिंह जी ने निभाया था!
कीलें में घुसते ही दाई तरफ हमने गाड़ी पार्क की और किले की सीडियां चढ़ गए! बड़ी और मोटी दीवारों के बीच एक बड़ा सा मैदान हैं जो अब बच्चो के क्रिकेट खेलने के काम आता है!
यह किला नजीबाबाद के उत्तरी भाग में है! इस किले को अपने वक़्त के नवाब, नवाब नाजीबुद्दोला ने बनवाया था, जिनके नाम पर इस शहर का नाम भी नजीबाबाद पड़ा था! सुल्ताना डाकू ने यह किला अपने छुपने की जगह के तोर पे इस्तेमाल किया! सुल्ताना अपने समय का माना हुआ डाकू था जोकि 1920 के आस पास उत्तर प्रदेश में मिलने वाले भाट्टू काबिले का था! हलाकि भाट्टू कबीला लूट खसोट और खून खराबे के लिए कुख्यात था, मगर सुल्ताना जहा तक हो सके खून खराबी से बचता था! कहा जाता है वोह अपने घोडे चेतक और कुत्ते जिसका नाम वीर बहादुर था, से बड़ा लगाव रखता था! डाकुओ के कबीले में पैदा होने के कारण वोह डाकू बना था! आजादी से पहले का 1920 एक अलग ही दुनिया थी! भाट्टू अपने आप को महाराणा प्रताप का वंशज मानते थे मगर अंग्रेज सरकार ने उन्हें डाकुओ का कबीला ही करार दिया!
भाट्टू में जो सबसे बड़ा बदमाश होता था वोह सबसे अच्छी दुल्हन ले जाता था! चोरी के गुर्र तो उन्हें बचपन में ही सिखा दिए जाते थे! एक भाट्टू अपने मुह में चाकू, चाबी और चुराए हुए माल जैसे गहने आदि को सालो छुपा सकता था! एक पंचायत होती थी जो पुलिस के हाथो मारे गए डकैतों के परिवारों को देखती थी, हर भट्टू अपनी लूट का कुच्छ हिस्सा इस पंचायत को देता था! ऐसे लोगो के बीच सुल्ताना पैदा हुआ था! उसकी गरीबी उसे नजीबाबाद के किले में ले आई थी!
फ्रेडी यंग ने सुल्ताना को नैनीताल के पास के जंगलो में पकड़ा! जुलाई 1924 में जब सुल्ताना मरा तो अपनी उम्र के दुसरे दशक का दूसरे चरण में था! उसने खुदको पुलिस को सौपा और उन्ही के हक में सारा बयान दिया! ऐसा उसने अपने लड़के के लिए किया, जिसकी परवरिश का जिम्मा फ्रेडी यंग ने लिया, उसे अपना नाम देकर! सुल्ताना नहीं चाहता था की उसके बाद उसकी औलाद उसके नक़्शे कदम पे चले!
कहानी पूरी फ़िल्मी है, पर तभी तो इसपे फिल्म बनी!
शाम होने को थी, हमने चलना मुनासिब समझा!
Wednesday, September 14, 2011
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